में कोन हूंँ?

 


में प्रश्नों से विचारों से विकारो से इतना भर चुका हूँ, कि कभी कभी यह तय कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता हैं. कि सवाल क्या है विकार क्या है विचार क्या हैं, में उलझ चुका हूं अपने ही बनाये जालो में । कोई अभीनायक की तरफ बस अभिनय करता जा रहा हूँ। एक क्षण मैं बेटा हो जाता हूँ तो कभी भाई, कभी दोस्त तो कभी प्रेमी लेकिन मैं जानता हूँ में कोई अभीनायक तो नहीं हूँ । किसी के हाथ का खिलोना तो नहीं, इशारे से नाचने वाला वाला कोई कठपुतली तो नहीं 


तो फिर में कोन हूँ ? में यहां क्यों हूँ ?


- रेति का रवि

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