इंसानो का क्या है?


 '' इंसान का क्या है ,

ये कुछ भी चाहता है ।


तू तो मुझे वो ही देना,

 जो तू चाहता है । ।


ये कल तक उसको मागता रहा,

और आज देखो ,

उसे भूल जाना चाहता है ॥


इंसानो का क्या ही भरोसा,

 ये तो कुछ भी चाहता है ।

तुम तो मुझे वो ही देना,

जो सिर्फ तू 

चाहता है । । ,,

∆ Surya.3_

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