मेरी रेगिस्तानी "रेती"
मैं करता रहता बकैती
वह काम में अपनी खोई रहती
फिर मेरी बात बनेगी कैसी
बाद में मालूम हुआ मुझे,
वो तो है मेरी soulmate जैसी
मेरी बातों में वह रहती
मेरे ख्यालों में वह रहती
कभी ख्वाबों में आकर वो कहती
मैं हूँ रेगिस्तानी रेति
मे हूँ रेगिस्तानी रेति
जो हाथ तो लगती है
पर कभी हाथ में नहीं रहती
बात कैसी भी हो वह हंसते हुए ही करती
देख कर तो नहीं लगता ,शायद घरवालों से भी नहीं लड़ती
कुछ तो बात है तुझ में ओए रेगिस्तान रेति, ,
वरना S के बाद कभी मैंने R न लिखी होती

sury.3_
Writer
शायरी करना शौक नहीं मजबूरी है मेरी ।