तुमसे मिलकर जाना
उसे देखा तो मुझे ऐसा लगा
जैसे मिल गई एक साथ दो महीने की तन्खवा
जैसे मिल गई हो किसी को पाइल्स की दवा
जैसे तन जलाती धूप मे मिल गई ठंडी सी हवा
जैसे गम को अपनी सारी दिया हो मैंने गवा
उससे मैंने शर्माना सीखा
कहने से पहले हिचकिचाना सीखा,
उसे मैंने जिस तरह से देखा
फिर उस नजरिये से किसी को न देखा
"मैंने जाना"
' घबराहट क्या होती है'
'चाहत क्या होती है?'
"किसी को एक पल देखने से"
'राहत क्या होती है।'
"रातों को जागा तो जाना"
'याद क्या होती है।'
"कुछ कहने को तरसा तो जाना"
'इंतजार क्या होती है'
"तुमसे मिलकर जाना"
'मोहब्बत क्या होती है!'
~रेति का रवि

sury.3_
Writer
शायरी करना शौक नहीं मजबूरी है मेरी ।