जन्म दिन क्यों मनाऊ

 


अच्छा था मे छोटा था मन मौजी था 

खाकर खेलना काम मेरा रोज ही था


उधमी रहा पर कभी न घर का बोझ था

खुशियाँ तो बचपनो मे मेरे हर रोज था


मेरी खुशियो पर नजर बड़ती "उम्र " की लगी

जख्म न थे मगर दर्द जख्म के जैसी ही लगी


मेरी आजादी पर पाबंदी बड़ती हुई "उम्र" ने लगा दी 

मेरी ख्वाबों मे परि आना‌‌‌ न इसे भाया मेरी नींद उड़ा दी


ओर तुम कहते हो जन्म दिन आया है खुशियाँ मना‌ ‌‌लो

इसका मतलब घाव पर अपने नमक खुद ही लगा लो

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