जन्म दिन क्यों मनाऊ
अच्छा था मे छोटा था मन मौजी था
खाकर खेलना काम मेरा रोज ही था
उधमी रहा पर कभी न घर का बोझ था
खुशियाँ तो बचपनो मे मेरे हर रोज था
मेरी खुशियो पर नजर बड़ती "उम्र " की लगी
जख्म न थे मगर दर्द जख्म के जैसी ही लगी
मेरी आजादी पर पाबंदी बड़ती हुई "उम्र" ने लगा दी
मेरी ख्वाबों मे परि आना न इसे भाया मेरी नींद उड़ा दी
ओर तुम कहते हो जन्म दिन आया है खुशियाँ मना लो
इसका मतलब घाव पर अपने नमक खुद ही लगा लो

sury.3_
Writer
शायरी करना शौक नहीं मजबूरी है मेरी ।