मानना काफी नहीं हैं?
मुझे पालतू कुत्ते, तोते और इंसानो में कोई अंतर भी होता हैं इसको स्पष्ट करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं।क्योंकि जिस तरह हम पालतू पशुओ को कुछ भी सिखाते हैं, वे सब सवाल किये बिना ही स्वीकार लेते हैं, की ऐसा ही होता हैं। जिस तरह एक तोता रट लेता है राम-राम कहना फिर तुम उसे कुछ भी कहो। उसकी जिव्हा से राम के नाम के अलावा कुछ और नहीं निकलता हैं ।
और इंसानों की प्रवृति भी कुछ इसी प्रकार है, उसने पढ़ लिया चंद किताबें और पूरी तरह से मान बैठा है, ये ही सत्य है,और ऐसा ही होता है। हम भी रट लेते हैं,उस तोते की भांती ,
"कोई खुद का विचार नहीं, कोई समझ नहीं, खुद का भी कोई मत या राय नही,कोई तार्किक नहीं, सवाल करने का साहस नहीं"
हम इंसानो के पास खुद को इंसान साबित करने का कोई सबूत नहीं है
में रहन-सहन ,व्यवहार, दिखावे की ,बाहरी आवरण की बात नहीं कर रहा हूं।
में तो आंतरिक और मानसिक मनोदशा की बात कर रहा हूं
में किसी के खिलाफ नहीं हूं । में तो सिर्फ इतना चाहता हूं
" मानना मत जब तक आप जान ना लो "
चाहे वह बात किसी ने भी कही हो ,चाहे वह बात कही पर भी लिखा हो।
इतिहास के पन्नो में बहुत से ऐसे महान व्यक्तियों ने जन्म लिया था। जिन्होंने दुनिया को ऐसे-ऐसे अविष्कार और खोज कर के दिया है। जो किसी से न छुपा है ये पूरी दुनियां उन्हें भविष्य में भूल जाने की भी भूल नहीं कर सकती।इतिहास में बड़े-बड़े महान वैज्ञानिक, दार्शनिक, तार्किक व्यक्ति हुए हैं, वह महान तब ही कहलाये जब उन्होंने पहले "मानना" काफी नहीं समझा।वे लोग जानने के लिए उत्सुक थे उन्होंने ठान रखा था जब तक जानेगे नहीं तब तक मानेगे नहीं ,
अगर पुरानी कहानी को मानकर बेठे रहते की राहू और केतू नामक दो राक्षस सूर्य और चंद्रमा को निगल लेते हैं तह सूर्य, चंद्र ग्रहण होता है। तो ग्रहण के प्रकोप से बचने के लिए हम आज भी धर्म के दलालों को दान दीये फिरते रहते। मानसिक गुलामी में जूझते रहते ,सुनी सुनाई बाते ,रट्टा मारकर रटी हुई बाते,किताबों मे लिखी हुई बाते को मानकर स्वयं को कितना प्रताणित करते थे लोग ,कभी ग्रहण के प्रकोप से बचाव से सम्बन्धित किताब पढ़ोगे तो जानोगे।
एक वायु यान बनाने वाले ने जब सोचा होगा की आकाश में यात्रा कर सकने वाला कोई उपकरण बनाया जाए । तो लोगों ने उसका बहुत मजाक बनाया बहुत निंदा की उसकी ,और कहा तुम पागल हो गय हो क्या ।आकाश में उड़ सकने वाला भी कोई यंत्र बनाया जा सकता हैं वह वैज्ञानिक भी मान कर बैठ जाता तो क्या होता
।मुझे लगता हैं सबसे ज्यादा मजाक तो टेलिफोन अविष्कारक का बनाया गया होगा जब उसने दावा किया होगा की कौसो मील दूर बैठे व्यक्ति से बात किया जा सकता हैं Just now imegin.
बल्ब,रेडियो,TV,पंखा,लोह पथ गामनी,संगणक(computer)लाऊड स्पीकर, ऐसे बहुत से अविष्कार सब जानते है । जब किसी ने पानी निकालने वाली मोटर बनाया होगा लोगों जब पहली दफा देखा हो तो कहा होगा गंगा मैया प्रकट हुई हैं ।
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sury.3_
Writer
शायरी करना शौक नहीं मजबूरी है मेरी ।