But Why?

 



हम सब परमात्मा की संतान है, ऐसा कहने वाला ये समाज, 

किसी के जन्म लेने पर और किसी की मृत्यु हो जाने पर कुछ दिन का परहेज रखते हैं।

आखिरी क्यों

एक तरफ कहते हो बच्चे परमात्मा स्वरूप होते हैं ।और उन्हीं से परहेज! घर आय मेहमानों का स्वागत करो गीत गाओ गले मिलो । जो चला गया जी लिया होगा बहुत दिन अंतिम बिदाई दो चाहे तो शोक मनाओ दुख प्रकट करो ।कहो तेरे बिना अब तो अधूरा हूँ ।

पर ये परहेज, ये दूरीया आखिरी क्यों❓


ये सब मानने वाले वही लोग हैं जिन्होंने मुझे  अधार्मिक /नास्तिक कहा।

मैंने तो सिर्फ ऐसी रूढ़ियों को कुरीतियों को अस्वीकारा है

न की इश्वर के अस्तित्व को नकारा हैँ 

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