कोई रफ कॉपी का नाम सुना हैं ना ,हाँ वही कॉपी जिसमें सारे विषयों का लेखा जोखा अव्यवस्थित ढंग से रहता हैं जो हैं तो ज्ञान का अद्भुत संगम एक ही में सब पर रफ कॉपी तो रफ कॉपी ही होता हैं जिसकी न बाद में कोई कीमत होती हैं और ना ही कुछ काम की होती है। फिलहाल मेरा मस्तिष्क इसी परिस्थिति में फसा हुआ हैं ।बस फर्क इतना है इसकी कीमत हैं यह बहुत काम की हैं ।
मेरी मानसिक दसा विज्ञान की प्रयोग शाला सी हो गयी हैं जहाँ पर न जाने किस-किस कोने पर अजीबोगरीब प्रयोग चल रहे हैं जिसका परिणाम यह होगा की मै किसी भी वक्त पागल हो सकता हूँ ।कुछ परिणाम सकारात्मक है तो कुछ नकारात्मक